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जालंधर, 19/10/2022: वो समय था शाम 4.14 PM का और तारिख थी 11 फरवरी 1990 की जब Nelson Mandela साउथ अफ्रीका के cape town शहर के बहार बनाए गए डिटेंशन सेण्टर से बहार निकले, अब वो लगभग 27  साल जेल में बिताने के बाद बाहर आ गए थे, Nelson Mandela को अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस को हथियारबंद संघर्ष शुरू करने के लिए जेल में बंद किया गया था

आगे चलकर 10 मई 1994  को Nelson Mandela को साउथ अफ्रीका का पहला डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति चुना गया था जिनका कार्यकाल जून 1999  तक चला था, Nelson Mandela  ने बहुत एक्टिव हो कर शिक्षा से जुड़े कार्यक्रमों में भाग लिया, Nelson Mandela  मेक पावर्टी हिस्ट्री कैंपेन का हिस्सा बने थे

Nelson Mandela कहा करते थे की वो आदमी बहादुर नहीं होता जिसको डर नहीं लगता, बहादुर तो वो होता है जो डर को हरा कर आगे बढ़ता है, Nelson Mandela के नाम से एक nelson Mandela foundation चलाई गई है जिसने सोशल जस्टिस और समाज में सुलह का काम किया है,

अब फिर थोड़ा पीछे चलते है और साल दर साल Nelson Mandela के जीवन को जानने की कोशिश करते हैं, Nelson Mandela 18  जुलाई  1918  को एक छोटे से गांव मवेज़ों, जो साउथर्न ट्रांस्की की क़ुनू में था में पैदा हुए, Nelson Mandela  सोसा बोलने वाली एक रॉयल फैमिली से सबंध रखते थे, साल 1941  में  Nelson Mandela वाल्टेर सिसुलू से  मिले जो साउथ अफ्रीकन कांग्रेस के एक्टिव सदस्य थे इन्होने ने ही Nelson Mandela की काम और पैसों दोनों से सबसे पहले मदद की

Nelson Mandela की रुचियों की बात की जाए तो उन्हें रनिंग और boxing  का काफी शौंक था, जब वो कॉलेज में पढ़ रहे थे उन्हें एक बार गोरी सरकार के खिलाफ एक हड़ताल को लीड करने के लिए कॉलेज से निकाल दिया गया था, Nelson Mandela ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ अफ्रीका से वकालत की पढाई की थी, Nelson Mandela की तीन बार शादी हुई जिनसे वो 6  बच्चों के पिता और आगे चलकर 20  ग्रैंडचिल्ड्रेन के दादा  भी रहे, साल 1969  में  Nelson Mandela रोब्बेन आइलैंड की जेल में बंद थे तभी उनके 25  वर्षीय बेटे की कार दुर्घटना में मौत हो गई थी, पर Nelson Mandela को ऐसे समय में भी जेल से छुट्टी नहीं मिल सकी थी, Nelson Mandela की बेटी की स्वाज़ीलैंड के किंग मस्वाती-3 के बड़े भाई से शादी हुई उस समय भी Nelson Mandela  जेल में बंद थे उस समय उनकी बेटी को ही कभी कभी Nelson Mandela से मिलने की छूट थी Nelson Mandela के परिवार के किसी अन्य सदस्य को यह अनुमति नहीं मिल सकी थी

उस दौर में डरबन शहर के बीच किनारे एक बोर्ड लगा हुआ करता था जिसपे साफ़ लिखा होता था की यह बीच सेक्शन-37  के अधीन सिर्फ गोरे लोगो के लिए ही रिज़र्व है, मतलब यहाँ नहाने सिर्फ गोर लोग ही जा सकते थे काले अफ्रीकन को यहाँ जाने की अनुमति नहीं थी, साल 1949  में मिक्स मैरिज एक्ट पास किया गया जिसके तहत अलग रेस के लोगों को आपस में विवाह तक करने पर रोक लगा दी गई, इसके बाद साल 1950  में immorality  act  पास किया गया जिसके तहत अब अगर कोई दो अलग रेस के जोड़े आपस में शारीरिक सम्बन्ध बनांते तो इसे जुर्म माना जाता, इसके बाद साल 1953  में रिजर्वेशन ऑफ़ सेपरेट एमेनिटीज एक्ट लाया गया जिसके तहत अब दो अलग अलग समुदाय के लोगों को पब्लिक स्थान में अलग अलग जगह दी जाने लगी, इसके इलावा साल 1951 में एक बंटू अथॉरिटीज एक्ट लाया गया जिसके तहत काले लोगो के लिए अलग सरकारी नियम बनाए गए,

काले लोगो को प्रॉपर्टी खरीदने का अधिकार नहीं था, उन्हें कोई अन्य कानूनी अधिकार भी प्राप्त नहीं था, उन्हें शिक्षा के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया था, कुछ अफ्रीकन मूल की महिलाएं घरों और खेतों में काम करके गुजारा करती जिसके बदले उन्हें इतना कम वेतन मिलता जो न के बराबर हुआ करता था, कुपोषण की वजह से बच्चों में मौत की दर बहुत ज्यादा थी परिवार लगभग बिछुड़ गए थे क्योकि काले पुरुषों को शहरी इलाकों में काम करना होता था जिन्हे कही भी आने जाने की अनुमति नहीं थी जिस वजह से वो अपने परिवार से भी नहीं मिल पाया करते थे, मीडिया पूरी तरह से सरकार के अधीन था साल 1976 तक तो साउथ अफ्रीका में टेलीविज़न तक नहीं आया था केप टाउन की आबो हवा में तो तब बदलाव आया जब ब्रिटिश प्रधान मंत्री हेरॉल्ड मैकमिल्लान ने खुलकर साउथ अफ्रीका में हो रहे रंग भेद के खिलाफ आवाज़ उठाई, स्वीडन के प्रधान मंत्री ओलोफ पाम ने जनता के नाम अपने आखरी सम्बोधन में कहा की जो स्टॉकहोल्म में रंग भेद(apartheid) चल रहा है उसे सुधारा नहीं जा सकता उसे पूरी तरह से रोका जाना चाहिए

देश में अलग रेस के लिए अलग पार्लियामेंट बना दिए गए, भारत से आए लोगो के लिए भी अलग पार्लियामेंट बना दिया गया, हर पार्लियामेंट में अपने अपने समुदाय(रेस) के लिए नियम बनाए जाते जैसे की हेल्थ से जुड़े मुद्दों और शिक्षा से जुड़े मुद्दे अलग समुदाय के लिए अलग बनाए जाने लगे ये सब नियम समुदायों के पार्लिअमेंटस बनाया करते, पर ऐसा कोई अधिकार अफ्रीका की मेजोरिटी जनता काले लोगो के लिए नहीं बनाया गया, किसी भी कानून और नियम को बनाने के समय काले लोगो की राय नहीं ली जाती थी, ये भेद भाव साल 1994  में हुए चुनाव के साथ खत्म तो हुए पर गोरे  लोगों का समाज में सबसे ऊँचा रुतबा इतनी जल्दी जाने वाला नहीं था

सरकार ने नेटिव लेबर(सेटलमेंट ऑफ़ डिस्प्यूट्स) बिल और द बंटू एजुकेशन बिल लागु किया, पहले बिल का मकसद ट्रेड यूनियंस को खत्म करना था जो मजदूरों के हक़ के लिए लड़ा करती थी दुसरे का मकसद था की उच्च शिक्षा सिर्फ उन्हें ही मिल सके जो सरकार के करीब थे Nelson Mandela ने माना था की वो माक्सवादी विचारों से प्रभावित थे वो मानते थे की समाज में कुछ हद तक ही सही सोशलिज्म का होना जरूरी है जिस की मदद से गरीबी के चक्र को तोडा जा सके, साथ ही वो डेमोक्रेटिक सिस्टम के भी प्रशंसक थे वो ये भी मानते थे की ब्रिटिश पार्लियामेंट दुनिया में सबसे मजबूत और अच्छी डेमोक्रेटिक संस्था है,  Nelson Mandela में एक ख़ास खूबी थी वो धोखा बिलकुल सहन नहीं करते थे

साल 1947  में Nelson Mandela को अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के युथ लीग का सक्रेटरी चुना गया, साल 1950 -51  में Nelson Mandela को ANC में नेशनल एग्जीक्यूटिव समिति में चुना गया और साल 1951  में ANC  के युथ लीग का नेशनल प्रेजिडेंट चुन लिया गया, साल 1953  में ANC  को प्रतिबंधित कर दिए गया और Nelson Mandela को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा और इसके बाद भूमिगत भी होने पर मजबूर होना पड़ा, उस समय अफ्रीका में एक एक्ट हुआ करता था जिसे कम्युनिज्म सप्रेशन एक्ट कहा जाता था इसी एक्ट के तहत साल 1956  में Nelson Mandela, तम्बो, सिसुलू और इनके साथ 153  अन्य लोगो को गिरफ्तार किया गया, साल 1957  में Nelson Mandela की मुलाकात विन्नी से हुई और Nelson Mandela ने कुछ समय बाद ही अपनी पहली पत्नी को तलाक देकर विन्नी से विवाह किया, साल 1962  में Nelson Mandela  ने साऊथ अफ्रीका को गैरकानूनी ढंग से छोड़ा और अल्जीरिया जा पहुंचे जहां उन्होंने एक फ्रीडम कांफ्रेंस में भाग लिया और आज़ादी के संघर्ष को तेज करने के लिए जरुरी फण्ड जुटाने के यत्न किए, पर जैसे ही वो साउथ अफ्रीका वापिस पहुंचे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और इस मामले में उन्हें 5  साल की सजा सुनाई गई, साल 1988  में Nelson Mandela को TB हो गई इसके बाद उन्हें केप टाउन के नजदीक स्थित विक्टर वेर्स्टर प्रिजन में भेजा गया जहां उस समय के साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति श्री बोथा ने अपने ख़ुफ़िया बिभाग के प्रमुख को बहुत ही सीक्रेट ढंग से Nelson Mandela से मिलने भेजा ताकि Nelson Mandela के साथ मिलकर कोई शांति समजौता हो सके, अब साल 1989 आ चूका था और इसी साल Nelson Mandela और बोथा की राष्ट्रपति भवन में आमने सामने मुलाकात हुई, पर कोई नतीजा निकलता इससे पहले ही बोथा को खतरनाक स्ट्रोक की वजह से उनके पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा और अब उनका कार्यभार संभाला F  W  de klerk  ने, इनके कार्यकाल में साल 1989  में ही Nelson Mandela की रिहाई का काम शुरू हो गया, साल 1990  में F  W  de klerk ने Nelson Mandela की रिहाई की घोषणा कर दी, साथ ही ANC , PAC  और मीडिया पर लगे प्रतिबन्ध हटा दिए गए, पर Nelson Mandela  ने हथियार डालने से साफ़ मना कर दिया, सरकार ने एक प्रस्ताव रखा जिसके तहत Nelson Mandela को सरकार के साथ देश की बाग़डोर मिलकर संभालना था पर Nelson Mandela ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, साल 1991  में सरकार ने इस बात की पूरी इजाजत दे दी की कोई भी बिना किसी रंग भेद के देश में कही भी जमीन जैजात खरीद सकता है हर नागरिक को एक जैसे अधिकार दे दिए गए इसके बाद दुनिया ने साउथ अफ्रीका पर लगाए सभी प्रतिबन्ध भी हटा लिए, 7 जुलाई 1991 को नेशनल कॉन्फ्रेंस ने Nelson Mandela को ANC  का प्रेजिडेंट चुन लिया,  Nelson Mandela ने इसी साल क्यूबा का दौरा किया जहां उन्होंने अपने मित्र कास्त्रो का रंग भेद(apartheid) के खिलाफ संघर्ष में साथ देने के लिए धन्यवाद किया, साल 1993  में Nelson Mandela को de  klerk के साथ शांति के लिए नोबेल पुरूस्कार दिया गया, साल 1994  में ANC  को चुनाव में जीत मिली और उसे हर वर्ग के 63 % वोट मिले  इसके बाद 9  मई 1994  को Nelson Mandela को साउथ अफ्रीका का राष्ट्रपति चुना गया, de klerk  को दो डिप्टी प्रेसिडेंटस में एक बनाया गया, साल 1997  में Nelson Mandela राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दे कर लीबिया चले गए जहां उन्होंने गद्दाफी से मुलाकात कर साल 1992  में साउथ अफ्रीका पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगाए गए कुछ प्रतिबंधों के बारे बात चीत की, साल 2005  में Nelson Mandela के इकलौते बेटे की AIDS से मौत हो गई, साल 2007  में Nelson Mandela ने अपना 89th जन्म दिन मनाया इसी साल लंदन में उनकी एक प्रतिमा चर्चिल और अब्राहम लिंकन की प्रतिमा के साथ लगाईं गई, साल 2008  में वो दिन भी आगया जब अमेरिका ने ANC और Nelson Mandela दोनों को आतंकवादी सूची से हटा दिया, साल 2010  में संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली ने Nelson Mandela के जन्म दिन को Nelson Mandela International day का नाम दिया, इस साल अब Nelson Mandela 92  साल के हो चुके थे

ब्रिटिश खुफिया विभाग से जुड़े एक जासूस गॉर्डोन ब्राउन को जब पकड़ा गया तो उसने खुलासा किया की साल 1969  में ब्रिटिश खुफिया विभाग ने Nelson Mandela को बड़े ख़ुफिया ढंग से जेल से निकाल कर गोली मार देने का प्लान बनाया जिसे एक एनकाउंटर का नाम देना था, ये प्लान नाकाम हो गया था,  Nelson Mandela को जब प्रेजिडेंट बोथा ने कुछ शर्तों के साथ छोड़ने का ऑफर दिया तो Nelson Mandela ने इस ऑफर को ठुकराते हुए अपनी बेटी ज़िन्दजी के जरिए सरकार को सन्देश भेजा की ” ये कैसी आज़ादी मुझे दी जा रही जबकि मेरी संस्था जो लोगों की संस्था है उस परसे कोई प्रतिबन्ध नहीं हटाया जा रहा, सिर्फ आज़ाद इंसान ही निगोशिएट कर सकता है, एक कैदी कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने के लायक नहीं होता” जब साल 1990  में Nelson Mandela को छोड़ दिया गया और उनकी संस्था ANC  समेत सभी ऐसे ग्रुप्स परसे प्रतबंध हटा लिया गया जो रंगभेद(apartheid) के खिलाफ लड़ाई में किसी भी तरह से शामिल थे तब इस पल को पूरी दुनिया में लाइव ब्रॉडकास्ट किया गया था

एक समय आया जब दुनिया के सभी ताकतवर देशो की तरफ से अफ्रीका पर इस बात का दबाव था की वो क्यूबा में मानव अधिकारों के दमन के खिलाफ बोले, पर Nelson Mandela  ने इन देशो के दबाव को दरकिनार करते हुए कहा था की जब अफ्रीका के लोग रंगभेद के खिलाफ लड़ रहे थे तब ये संघर्ष क्यूबा जैसे मित्र देशों की मदद से सफल हुआ था

बर्मा में जब सेना ने चुनी हुई सरकार को अपने हाथों में ले लिया तो Nelson Mandela ने औंग सां सू कई को तुरंत जेल से छोड़े जाने की बात कही और बर्मा की जनता के साथ खड़े होते हुए सेना को कहा की बात चीत से मामले को सुलझाए

साल 1995  में नया संबिधान लाया गया, जिसके बाद the  truth and reconciliation commission आया जिसके तहत ही राजनीती से प्रेरित क्राइम और रंगभेद(apartheid) के खिलाफ चले संघर्ष के दौरान हुए अत्याचारों के खिलाफ कदम उठाए जा सके

Nelson Mandela ने देश में ब्रेड को चलन में लाया जिससे देश के 5.5 मिलियंस भूखे बच्चों का पेट भरने की योजना बनाई गई, Nelson Mandela  ने चुनाव के दौरान अपने भाषण में कहा था की जब वो राष्ट्रपति बनेगे तो हर बच्चे के पास कुछ खाने को जरूर होगा, राष्ट्रपति बनने  के बाद Nelson Mandela ने ब्रेड और मक्खन से बने सैंडविच के जरिए देश के पिछड़े इलाकों जहाँ भुखमरी का सबसे ज्यादा असर था में भुखमरी के खिलाफ एक मुहीम भी चलाई थी, जब साउथ अफ्रीका में वर्ल्ड कप खेला गया तो इसे Nelson Mandela ने साउथ अफ्रीका में करवाने का काम किया था, यह साउथ अफ्रीका में अब तक का सबसे बड़ा खेल आयोजन था

आनरेरी डिग्री और शांति के नोबल प्राइज के साथ साथ Nelson Mandela को 250 से ज्यादा प्राइज(awards) मिले थे, कई सारे पुल और सड़कों के नाम दुनिया के अलग अलग देशो में उनके नाम से मिल जाएँगे, साउथ अफ्रीका के पोर्ट एलिज़ाबेथ में Nelson Mandela के नाम से एक स्टेडियम बनाया गया जहाँ साल 2010  में हुए FIFA वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ था इस स्टेडियम में एक साथ कुल 46,500  लोग आयोजन देख सकते हैं

अफ्रीका में एक संस्था है जिसका नाम है ABETO जो लम्बे समय से अफ़्रीकी देशों में शांति और लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम कर रही है ने Nelson Mandela को 14 अप्रैल 2010 को उनके रंगभेद(apartheid) के खिलाफ संघर्ष के लिए अफ्रीका पीस अवार्ड दिया है, शांति, न्याय और बराबरी के लिए लड़ने को अपना पूरा जीवन देने वाले Nelson Mandela इस अवार्ड को पाने वाले पहले इंसान भी बने, Nelson Mandela को bharat ratna का खिताब भी दिया जा चूका है, सोवियत संघ ने उन्हें लेनिन शांति पुरुस्कार दिया है, साल 1992  में पाकिस्तान ने उन्हें निशान ए पाकिस्तान का खिताब भी दिया

Nelson Mandela वो नेता थे जिन्होंने साल 1999  में जब नाटो सेना ने कोसोवो में  दखल दिया तो सबसे पहले आगे आए और इसको ताकतवर देशो का छोटे देशो पर पुलिस की भूमिका निभाने का आरोप लगाते हुए निंदा की,  Nelson Mandela ने इराक में दखल के लिए बुश सरकार की विदेश नीति की भी खुलकर आलोचना की,  Nelson Mandela चाहते थे की संयुक्त राष्ट्र इस बात की कोशिस करे की इराक में सैनिक दखल को रोका जा सके, Nelson Mandela ने कहा था की साउथ अफ्रीका को चाहिए की इराक की खिलाफत तभी करे जब इस खिलाफत को लीड संयुक्त राष्ट्र करे, उन्होंने कहा था वीटो पावर वाले देशों को चाहिए को संयुक्त राष्ट्र सिक्योरिटी कौंसिल में अमेरिका के इराक के खिलाफ वाले प्रस्ताव का विरोध करे

Nelson Mandela ने कहा था की अमेरिका का ह्यूमन राइट्स(human rights) के मामले में रिकॉर्ड बहुत ही ख़राब है अमेरिका ने जापान के दो शहरों पर एटॉमिक बम गिराकर मानवता का नाश करने का काम किया था, Nelson Mandela तो अपने  समय के ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर को अमेरिका का विदेश मंत्री कह कर तंज कसा करते थे

Nelson Mandela ने साल 1999  में राजनीती से संन्यास लेने के बाद Nelson Mandela foundation नामक संस्था बनाई, जिसका प्रमुख काम है सोशल जस्टिस के लिए संघर्ष करते रहना, Nelson Mandela के नाम से दो अन्य प्रमुख संथाएं चलाई जा रही है जिनका नाम है Nelson Mandela children fund एंड Mandela रोड्स फाउंडेशन, अपनी रिटायरमेंट के बाद Nelson Mandela  ने अपनी फाउंडेशन के जरिए एड्स से लड़ने के लिए फण्ड इकठा करने के लिए 46,664  कैंपेन की मदद की है, जान लीजिए की जब Nelson Mandela देश में रंगभेद(apartheid)के खिलाफ लड़ने के लिए सजा काट रहे थे तो उनका नंबर जेल में एहि 46664  ही था

स्टोरी के अंत में बता दे की Nelson Mandela की exwife  विन्नी ने Nelson Mandela पर धोखेबाज़ होने का आरोप लगते हुए कहा की साउथ अफ्रीका में काले लोग आज भी गरीबी से जूझ रहे है गोरे आज भी लक्ज़री लाइफ का लुत्फ़ उठा रहे है, समानता और समान न्याय आज भी अफ्रीका में कही दिखाई नहीं दे रहा, आज भी बच्चे ऐसी दुनिया में बड़े हो रहे है जहाँ जंग अभी तक ख़त्म नहीं हुई है

Note: यह कहानी एक पुस्तक “Nelson Mandela, A legendary story- By mamta Sharma Ghuge”  से प्रेरित है इसके लिए कुछ प्रेरणा इंटरनेट पर उपलब्ध कुछ अन्य स्रोतों से भी ली गई है, पूरी कहानी में कही से भी कुछ भी कॉपी करके लाकर नहीं छापा गया है, कहानी की इमेज और कैप्शन में इस्तेमाल तस्वीरें इंटरनेट से ली गई है पर इन तस्वीरों का कमर्शियल इस्तेमाल नहीं किया गया है, कहानी में दिया गया सारा कंटेंट सूचना के लिए है किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले अलग अलग स्रोतों से वेरीफाई जरूर कर लिया जाए

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