latest news on raid: e news owner गिरफ्तार, सवाल उठ रहा है की is press free in india, e freedom के लिए काम करने वाले internet freedom foundation के इलावा editors guild of india कई सारे independent editors group ने news click raid पर अपने विचार रखे..

जालंधर(4/10/2023): दोस्तों आप सबको इतना तो पता चल ही गया होगा की कलके दिनमे देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली की पुलिस ने मशहूर डिजिटल मीडिया आउटलेट न्यूज़ क्लिक के दफ्तर समेत उसके साथ जुड़े कई पत्रकारों के घरों पर अचानक दबिश दी, ये दबिश सुबह 6 बजे के आस पास हुई, इस दबिश में पुलिस ने कई सारे पत्रकारों के मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप और कुछ मामलों में तो हार्डडिस्क जैसे संवेदनशील सामान जब्त कर लिए, इसके बाद कुछ पत्रकारों को अपने साथ स्पेशल सेल के दफ्तर ले गए और घंटों पूछ ताछ की गई और सवाल जवाब करने के बाद सभी पत्रकारों को छोड़ दिया पर न्यूज़ क्लिक के मालिक और न्यूज़ क्लिक के ह्यूमन रिसोर्स विभाग के प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया ऐसा लगभग सभी मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया है, लगभग सभी रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार का कहना है की न्यूज़ क्लिक को चीन के लिए प्रोपोगंडा चलाने वाले एक श्री लंका मूल के अमेरिकन बिज़नेस मैन से लगभग 38 करोड़ रुपये के आस पास की फंडिंग जो संदिग्ध है मिली है इसी को लेने की वजह से जांच की जा रही है सरकार कहती है की न्यूज़ क्लिक ने ये पैसे देश विरोधी और चीन के पक्ष में प्रोपोगंडा चलाने के लिए हासिल किये हो सकते हैं, भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है देश की जांच एजेंसियां पूरी तरह आज़ाद है और कानून के मुताबिक ही काम कर रही है

हम अपनी आज की इस रिपोर्ट के जरिये आपके सामने इस मामले पर देश और विदेशों से ऑपरेट होने वाले प्रेस वाच डॉग्स और मानव अधिकार संगठनो की राय बताना चाहते हैं, कलके दिनमे ही एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने एक स्टेटमेंट जारी करते हुए मामले पर चिंता जाहिर की और लिखा की इस मामले में गिरफ्तारियां UAPA के इलावा IPC 153a, IPC 120b के तहत की गई है ऐसे में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए की अगर कोई जुर्म हुआ है तो सही से जाँच हो वरना इस बात का ध्यान रखा जाना बहुत जरुरी है की प्रेस को UAPA जैसे कानूनों से डराने की कोशिस न की जाए और प्रेस की आज़ादी का पूरा सम्मान किया जाए

इसके इलावा इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने भी मामले पर स्टेटमेंट लिखी है जिसमे संस्थान ने कहा है की उसे इस दबिश के बाद चिंता है की पत्रकारों के घर से उनके डिजिटल साजो समान का जब्त करना संविधान में मिले राइट टू प्राइवेसी और प्रेस फ्रीडम पर बुरा आसार डलेगा

अब बात की जाए अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की तो मामले में गिरफ्तार किये गए दोनों लोगो की रिहाई की अपील के साथ सामने आया है RSF, इस संस्थान के साउथ एशिया डेस्क के हवाले से लिखा गया है की न्यूज़ क्लिक पर की गई रेड के दौरान जो लैपटॉप्स, मोबाइल फ़ोन और कुछ अन्य सामान जब्त किये गए हैं उनसे इन पत्रकारों के न्यूज़ सोर्सेज की गोपनीयता का उलँघन होगा जो बहुत चिंता की बात है, संस्थान ने मांग की है की जल्द से जल्द गिरफ्तार किये गए दोनों लोगों को रिहा किया जाए और जब्त किये गए सभी सामान वापिस किये जाए

इसके इलावा एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी मामले पर अपने विचार रखे है और कहा है की भारत सरकार को चाहिए की वो उन पत्रकारों को निशाना न बनाये जो उससे सवाल पूछते हैं एमनेस्टी का कहना है की भारत में पत्रकारों पर बार बार UAPA का इस्तेमाल किया जाना बहुत गंभीर बात है आगे बढ़ते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सरकार को नसीहत दी है की वो सभी के मानवा अधिकारों सहित, फ्री प्रेस और फ्रीडम ऑफ़ स्पीच का सम्मान करे और बढ़ावा दे, इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए की मानवा अधिकारों पर हमले होने बंद हों

दोस्तों इस बार आवाज़ देश के कोने कोने तक पहुंची और कई अन्य पत्रकार संगठनों ने अपने विचार रखे हैं, पंजाब के जालंधर शहर से पत्रकार सगठन आल रिपोर्टर्स असोसिएशन के प्रमुख अमरजीत लावला ने रेड पर चिंता व्यक्त की है और कहा है की ऐसी रेड की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त करते है की हाल के दिनों में प्रेस फ्रीडम पर कई सारे खतरे खड़े हो रहे है ऐसे खतरों से निपटने में सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए

ऐसे ही एक अन्य संगठन जिसका नाम शहीद भगत सिंह प्रेस असोसिएशन है के चेयरमैन अमरिंदर सिंह ने भी रेड को लेकर कड़ी निंदा की है और ऐसे कदम से सरकार को बचने की नसीहत दी है

दोस्तों अंत में हम कहना चाहते हैं की इस रेड को लेकर हम न तो न्यूज़ क्लिक की कोई खिलाफत कर रहे हैं और न ही कोई सराहना, हमारी न्यूज़ क्लिक के साथ जुड़े किसी भी व्यक्ति के साथ कोई जान पहचान तक नहीं है पर इतना जरूर चाहते हैं की मामले की निष्पक्षता से जांच हो और सच सामने आए,

पत्रकार होने के नाते अब कुछ और बाते रखना चाहते है, दोस्तों दिल्ली में बैठे लोगो को शायद ही पता हो की जो आज न्यूज़ क्लिक के साथ हुआ है उससे कहीं ज्यादा भयंकर रोज़ किसी न किसी गरीब पत्रकार के साथ देश के किसी छोटे शहर में हो रहा है, कई पत्रकार आपराधिक मामले सालोँ से अदालतों में लड़ रहे हैं कई सारे तो इन झूठे आपराधिक मामलों का सामना करते करते आर्थिक तौर पर बर्बाद तक हो चुके हैं, कई पत्रकार अभी भी कही न कही जेल में बंद होंगे, ऐसे मामले बनाए जाते हैं जो अपने आप में ही एक जुर्म होते है जैसे की बिना लाइसेंस के डिजिटल मीडिया चलाने की वजह से लोगो पर मामले दर्ज किए जाते हैं और पत्रकार महीनों जेल में पड़े रहते है वो भी ऐसे लाइसेंस के लिए जो खुद ही अस्तित्व में नहीं है पर अफ़सोस एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया जैसे संस्थानों को इन मामलों पर चूं तक करते हुए नहीं सुना गया है

बस इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन और RSF जैसे संस्थान ही ऐसे मामलों पर कभी कभार बोलते हुए दिख जाते हैं और कोई इस तरफ देखता तक नहीं

 

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