जालंधर, 1 अक्तूबर: अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर (विकास) वरिंदरपाल सिंह बाजवा ने कहा ....

जालंधर, 1 अक्तूबर: अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर (विकास) वरिंदरपाल सिंह बाजवा ने कहा कि धान की पराली के उचित प्रबंधन के लिए किसानों को इन-सीटू प्रबंधन के साथ-साथ एक्स-सीटू प्रबंधन के बारे में जागरूक करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा ताकि पराली जलाने के बजाय, इसको किसानों की आय का जरिया बनाया जा सके।

अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर ने स्थानीय जिला प्रशासन परिसर में जिले के बेलर मालिकों एवं पराली के थोक खरीददारों के साथ बैठक के दौरान कहा कि पराली जलाने की बजाय किसानों को एक्स-सीटू व्यवस्था से अवगत करवाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। पराली की गांठें बनाकर ईधन के रूप में प्रयोग करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गांवों में सरपंचों, पंचों और नंबरदारों की मदद से किसानों को पराली की गांठें बनाकर ईंधन, चारा, कागज आदि के रूप में इसके उपयोग की जानकारी दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि जिले में धान के अंतर्गत 4.32 लाख एकड़ में से लगभग 75000 एकड़ में पराली प्रबंधन एक्स-सीटू प्रक्रिया के माध्यम से किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि वर्तमान में जिले में 45 बेलर मशीनें उपलब्ध है और 27 नई बेलर मशीनों को सब्सिडी के साथ स्वीकृति मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि इन बेलर मशीनों के माध्यम से इस बार बड़े क्षेत्र में पराली का एक्स-सीटू प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीरपिंड नकोदर में स्थापित बिजली उत्पादन इकाई द्वारा पहले से ही 12,000 एकड़ क्षेत्र में पराली का प्रबंधन किया जा रहा है, जिसकी सालाना खपत 75,000 टन है। पराली का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में भी किया जा रहा है।

बता दे कि बैठक में पराली से ईंधन बनाने के लिए जालंधर और भीखी (मानसा) में स्थापित इकाइयों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। इन इकाइयों की क्षमता क्रमश: 10000 टन और डेढ़ लाख टन प्रतिवर्ष है। अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर ने कहा कि किसान ऐसी इकाइयों को स्ट्रॉ बेल्स में बेचकर अपनी आय बढ़ा सकते है।

अतिरिक्त डिप्टी कमिशनर ने किसानों से पराली प्रबंधन के लिए एक्स-सीटू प्रक्रिया अपनाने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे पराली किसानों के लिए आय का स्रोत बन जाएगी और पर्यावरण के प्रदूषण से भी बचा जा सकेगा।

इस अवसर पर कृषि अधिकारी कम जिला प्रशिक्षण अधिकारी कपूरथला डा. नरेश गुलाटी, कृषि अधिकारी जसविंदर सिंह, कृषि अधिकारी फिल्लौर डा. गुरमीत सिंह, सहायक कृषि इंजीनियर नवदीप सिंह आदि उपस्थित थे।

 


 

 

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