col pushpinder singh bath case: मामले में एक आरोपित रोनी सिंह की anticipatory bail rejected by high court पूरे देश को reasons bail is denied जरूर जानने चाहिए

 जालंधर(26/05/2025): आप सभी पढ़ने वालों को आज पंजाब के चर्चित कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ के साथ हुई मार पीट के आरोपी पुलिस वालों मेसे एक आरोपी इंस्पेक्टर रोनी सिंह सलह की अग्रिम जमानत जो पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट से 23/05/2025 को ख़ारिज हुई है से जुड़े कुछ बेहद जरुरी फैक्ट्स से रूब रूह करवाने जा रहे हैं, लीड में इतना कहना चाहते हैं की रोनी सिंह सलह की ये जमानत ख़ारिज होना  सिर्फ रोनी सिंह के लिए ही जोरदार झटका नहीं है इस बेल आर्डर में जस्टिस अनूप चितकारा ने जो कुछ लिखा है वो पंजाब पुलिस में आज भी कई सारे पदों पे बैठे हुए लोग जो खुद कानून हाथ में लेते फिर रहे हैं की पीठ पे ऐसा डंडा लगने जैसा है जिसका दर्द पंजाब पुलिस के इन लोगो को सालों तक महसूस होता रहेगा 

इस बेल आर्डर में जस्टिस अनोप चितकारा ने लिखा है की यह बात पुलिस पे सवाल खड़े करती है की पुलिस ने एक तरफ ढाबा मालिक की शिकायत पे तो बड़ी जल्दी ऍफ़ आई आर दर्ज करदी पर वहीँ दूसरी तरफ कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके पुत्र की शिकायत पे 22 मार्च 2025 से पहले ऍफ़ आई दर्ज नहीं की जबकि कर्नल पुष्पिंदर सिंह और उनके पुत्र की मेडिकल रिपोर्ट में सिंपल और ग्रेवियस हर्ट दोनों थे और मामला 13 और 14 मार्च 2025 के बीच की रात का था और इतने दिन कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ की शिकायत पे कोई कारवाई नहीं हुई 

आगे अदालत ने लिखा है की जो भी वीडियोस ढाबा के CCTV  रिकॉर्डिंग से मिले हैं उनमेसे सिर्फ उन्ही को कंसीडर किया जा रहा है जो वीडियोस पूरी तरह से क्लियर हैं इन वीडियोस को देखने से साफ़ पता लगता है की जब एक जीप आती है जिसके ऊपर लाल और नीली लाइट लगातार जल रही है के आने के बाद ढाबे के माहौल में हलचल होती है जीप के आने से पहले माहौल बिलकुल नार्मल था, कुछ समय बाद एक आदमी कुछ गाड़ियों के पीछे से आता है जिसे कुछ लोग पीटना शुरू कर देते हैं कौन किसको पीट रहा है यह वीडियो को देखने से साफ़ नहीं हो रहा पर एक बात नोट की जानी चाहिए की एक आदमी ढाबे पे खाना खा रहे आम लोगो के पास आता है और उन्हें वहाँ से भगा देता है ऐसा इस लिए किया गया लगता है की मामले से जुड़ा कोई इंडिपेंडेंट गवाह न बन सके, और कोई बीच बचाव न कर सके और सबूतों को छिपाने की कोशिश भी की गई लगती है, वीडियो में दिखाई देता है की एक आदमी जिसे मारा जा रहा है वो भाग कर गाड़ी में जाके बैठ जाता है पर मारने वाले उसे गाडी से दुबारा खींच कर बाहर निकलते है और बड़ी बेदर्दी से नीचे गिरा देते है

रोनी सिंह के वकीलों ने अदालत से कहा की मार पीट में ऐसा कोई हथियार इस्तेमाल नहीं किया जिससे किसी की जान जा सके और कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे के शरीर के ऐसे किसी हिस्से पे नहीं मारा गया जिससे जान से मारने की कोशिश की धारा  लगाई जा सके, इस्पे अदालत ने कहा की कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके पुत्र अंगद सिंह बाठ पे डंडों से हमला किया गया है और वो भी ट्रेंड पुलिस वालों द्वारा ऐसे में कैसे कहा जा सकता है की डंडा किसी की जान नहीं ले सकता है 

अदालत ने आगे कहा की वीडियो में साफ़ दिख रहा है की लगातार डंडे से दोनों लोगों को पीटा जा रहा है, अदालत ने कहा की यह बात कॉमन सेंस की है की कोई बच्चा, बूढा या बीमार आदमी डंडे से किसी पे वार करता है तो रिजल्ट माइनर इंजरी के रूप में हो सकता है अगर एहि डंडा एक ट्रेंड पुलिस वाला मारे तो रिजल्ट बेहद गंभीर चोट के रूप में हो सकता है वीडियो में दिख रहा है की कैसे ताकत लगा के डंडे से मारा जा रहा  हैं ऐसे में इसी डंडे की वजह से दोनों पीड़ितों को ग्रेवियस चोट लगी है

रोनी सिंह के वकील ने जब अदालत से कहा की कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे अंगद सिंह ने पुलिस वालों को उकसाया था तो अदालत ने इस बात पे भी कोई सहमति नहीं जताई 

आगे अदालत ने कहा की कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ का ढाबे पे रुकना उनकी पर्सनल चॉइस हो सकती है कर्नल बाठ देर रात शहर में पहुंचे थे उन्हें भूख लगी हो सकती थी अगर उन्होंने अपना डिनर स्किप करना था तो कुछ हल्का स्नैक्स खाना उनकी चॉइस हो सकती हैं इसी के तहत उन्होंने ढाबे पे मैग्गी खाने का मन बनाया हो सकता हैं अब बात उठती हैं की वो कार के ऊपर रखके मैग्गी क्यों खा रहे थे तो कर्नल बाठ का यह कदम भी सही लगता हैं वीडियो में साफ़ दिखाई दे रहा हैं ढाबे के सभी टेबल्स पहले से बुक दिखाई दे रहे हैं हैं इस लिए सही टेबल न मिलने की वजह से कर्नल बाठ और उनके बेटे ने मैग्गी कार की डिक्की पे रख कर खाना ठीक समझा ऐसे में कर्नल बाठ का यह कदम भी नार्मल ही हैं 

अदालत ने अपने आर्डर में लिखा हैं की पुलिस का ये कहना की जब उन लोगो ने कर्नल बाठ से गाड़ी हटाने की बात कही तो कर्नल बाठ और उनके बेटे का बेहेवियर काफी रूड था यह भी ठीक इल्जाम नहीं लग रहा वीडियो में दिखाई दे रहा हैं की पुलिस वालों की गाडी के ऊपर लाल और नीली लाइट लगातार जल रही है ऐसे में कोई अनपढ़ आदमी भी उन लोगो से इज्जत से ही पेश आएगा, हाँ सामने वाला तभी गलत बीहेव करेगा जब पहले उसके साथ पुलिस वाले गलत बीहेव करेंगे वरना कोई भी पहले पुलिस वालों के साथ बिना किसी बात के बदसलूकी करेगा ये बात भी फिट नहीं लगती है    

आगे अदालत ने लिखा हैं की अगर इस बात को ठीक मान भी लिया जाये की कर्नल बाठ की कार गलत जगह पे पार्क की हुई थी तो ऐसे में पुलिस वालों की ड्यूटी बनती थी की वो कार का चालान काट देते न की इतनी बेदर्दी से कर्नल बाठ और उनके बेटे के साथ मार पीट करते पर वीडियो में जो हरकत दिख रही हैं उससे साफ़ लगता हैं की यह कदम पुलिस एक्ट में मिली शक्ति का पूर्ण रूप से दुरूपयोग हैं, पुलिस का ऐसा वर्ताव किसी लोकतान्त्रिक देश में बिलकुल नहीं होना चाहिए 

आगे अदालत ने अपने आर्डर में लिखा है की ये मामला ये साबित करता है की स्टेट ने अपने पुलिस अफसरों को कितनी ताकत दे दी है की पुलिस के बड़े अधिकारी सेना के कर्नल लेवल के अधिकारी की लिखित शिकायत करने पे 8 दिन तक ऍफ़ आई आर रजिस्टर्ड तक नहीं करते और शिकायतकर्ता कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ के वकील के मुताबिक 8 दिन बाद भी तभी ऍफ़ आई आर दर्ज हो सकी है जब जनता का गुस्सा सामने आने लगा इस केस के बाद पंजाब की आम जनता की मजबूरी के स्तर का अंदाज़ा भी लगाया जा सकता है 

अदालत ने आगे लिखा है की जब बेल देने या न देने का समय होता है तब अदालत सबसे पहले यह देखती है की जुर्म में क्रुएल्टी कितनी है क्रुएल लोग अपने आस पास के दुसरे लोगों के लिए किसी लैंडमाइन के जैसे खतरनाक होते है अगर अदालत को ये प्राइमा फसाये दिख जाये की आरोपित ने जुर्म क्रुएलिटी के साथ किया है तो ऐसे में अदालत को आरोपित को जमानत नहीं देनी चाहिए 

अदालत ने कहा की घटना के बाद आरोपित पुलिस वाले झूठे सबूत गढ़ने की नियत से घटना से काफी दूर एक प्राइवेट हॉस्पिटल में जाके दाखिल हो गए ऐसा लगता है की प्राइवेट हॉस्पिटल पे अपना प्रभाव डालके अपनी मर्जी की रिपोर्ट लेना चाहते हों, जबकि घटना से कुछ ही दूरी पे राजिंदरा हॉस्पिटल है जो एक सरकारी हॉस्पिटल है, कर्नल बाठ और उनके बेटे ने राजिंदरा हॉस्पिटल से ही अपना पहला इलाज करवाया, ये आरोपित पुलिस वाले भी राजिंदर हॉस्पिटल जा सकते थे पर इन्हे इस बात का शक रहा होगा की राजिंदरा हॉस्पिटल के सरकारी डॉक्टर्स इनके मतलब की रिपोर्ट नहीं बनाएंगे इस लिए इन्होने प्राइवेट हॉस्पिटल चुना होगा  

यह बातें बेल आर्डर में अदालत द्वारा लिखी गई जरुरी बातों मेसे हैं अदालत ने बेल आर्डर में इससे भी ज्यादा मजबूत शब्दों का इस्तेमाल किया है पर हमे लगता है की ऊपर लिखे गए कुछ फैक्ट्स काफी हैं जो आम जनता को जानने चाहिए, इसके बाद इस स्टोरी के नीचे हम लोग कर्नल बाठ की एक तस्वीर पब्लिश कर रहे हैं जिसमे साफ़ देखा जा सकता है की कर्नल बाठ के हाथ में कितना बड़ा प्लास्टर लगा हुआ है इससे इस बात का भी अंदाज़ा लग जायेगा की कर्नल को कितनी चोट लगी होगी, अब आगे आप सब पढ़ने वालों का काम है की इस तस्वीर को देख कर इस बात का अंदाज़ा लगा लें की आज के समय में पंजाब में कानून की तबियत कैसी है और आम आदमी पार्टी पंजाब के आम लोगो और सेना के बड़े अफसरों की कितनी फ़िक्र कर रही है



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