जालंधर(15/11/2025): देशभर में एक बढ़ती हुई समस्या सामने आ रही है — साइबर सेल द्वारा नागरिकों के बैंक खाते बिना किसी पूर्व सूचना, जाँच की प्रगति बताए या सुनवाई का अवसर दिए बिना फ्रीज़ (जमाकर) किए जा रहे हैं।
इस कारण अनेक व्यक्तियों एवं छोटे व्यापारियों को अपने ही पैसे तक पहुँच नहीं मिल पा रही है, जिससे वे गंभीर आर्थिक संकट और मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। मामले में पी आई एल डालने की तैयारी कर रहे वकील तुषार खैरनार ने हमें बताया की,
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जनहित याचिका: इस गंभीर मुद्दे को उठाने हेतु, एक अधिवक्ता (Advocate-on-Record) के रूप में, भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक जनहित याचिका (Writ Petition) दाख़िल कर रहा हूँ।
इस याचिका का उद्देश्य है: साइबर सेल द्वारा बैंक खातों के फ्रीज़ और डिफ्रीज़ करने की प्रक्रिया के लिए समान (Uniform) दिशा-निर्देश और समय-सीमा तय करने का अनुरोध।
इससे नागरिकों के मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 14, 19 और 21) की रक्षा हो सके और जाँच एजेंसियों की शक्ति का न्यायसंगत एवं पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित हो।
हलफ़नामे (Affidavit) का उद्देश्य: माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह दर्शाने के लिए कि यह समस्या देश के विभिन्न राज्यों में अनेक निर्दोष नागरिकों को प्रभावित कर रही है, ऐसे नागरिकों के हलफ़नामे संकलित किए जा रहे हैं जिनके बैंक खाते बिना उचित कारण के फ्रीज़ किए गए हैं। इन हलफ़नामों के माध्यम से इस समस्या के मानवीय और सामाजिक प्रभाव को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
आप कैसे सहयोग कर सकते हैं: यदि आपका बैंक खाता साइबर सेल द्वारा फ्रीज़ किया गया है और आप इस जनहित याचिका में अपना समर्थन देना चाहते हैं, तो कृपया नीचे दिए गए प्रारूप में हलफ़नामा भरकर साझा करें:
ईमेल: aortushark@gmail.com
आपकी सभी जानकारी पूर्ण रूप से गोपनीय रखी जाएगी और केवल माननीय सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुतिकरण हेतु उपयोग की जाएगी।
आइए, साथ मिलकर एक न्यायपूर्ण व्यवस्था की ओर कदम बढ़ाएँ
यह पहल पूरी तरह नि:शुल्क (pro bono) है — केवल जागरूकता, समन्वय और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से
Tags
Legal
